उल्लेखनीय है कि 22 जुलाई, 2008 को भाजपा सांसदों -फग्गन सिंह कुलस्ते, महावीर भगोरा और अशोक अग्रवाल- ने विश्वास मत के ठीक पहले संसद में नोटों की गड्डियां लहराकर दावा किया था कि मनमोहन सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए उनको पैसे दिए गए थे। अमर सिंह के संबंध में अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य संदेह से आगे नहीं जाते हैं।
कुलकर्णी की भूमिका के बारे में अदालत ने कहा कि उनकी भूमिका केवल अर्गल, कुलस्ते और भगोड़ा को टीवी चैनलों के सामने लाने की थी ताकि दलबदल से जुड़े साक्ष्य की रिकार्डिंग की जा सके। अदालत ने यह भी कहा कि आगे के घटनाक्रम में कुलकर्णी की कोई भूमिका नहीं थी और गलत रास्तों से अवैध कार्य करने के विचार से कोई बैठक नहीं की गई और इस संबंध में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं हैं। अदालत ने यह भी कहा टीवी चैनल के दल से मुलाकात करने का मकसद केवल संसद में दलबदल का खुलासा करना था।
भाजपा नेता अर्गल, कुलस्ते और भगोड़ा के बारे में अदालत ने कहा कि टीवी चैनल को आमंत्रित करने और कैमरा के समक्ष उपस्थित होने को यह नहीं कहा जा सकता कि वे अवैध गतिविधियों में शामिल थे। अदालत ने अभियोजन पक्ष की उन दलीलों को भी खारिज कर दिया कि संसद में दलबदल का पर्दाफाश करने का कार्य केवल ड्रामा था। न्यायाधीश ने कहा कि सुहेल हिन्दुस्तानी की ओर से किसी तरह के अवैध कार्यो के किये जाने को प्रदर्शित करने के लिए साक्ष्य नहीं है।