सुहास गोपीनाथ ने 14 साल की उम्र में वेबसाइट बना कर अपना और अपने देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया। एक बार कामयाबी का स्वाद चखने के बाद इन्होंने कभी मुड़ कर नहीं देखा। 2007 में यूरोपीय संसद ने इन्हें यंग अचीवरअवॉर्ड से और 2008 में विश्व आर्थिक मंच ने इन्हें यंग ग्लोबल लीडर का सम्मान दिया। सुहास की कामयाबी पर रुचि की रिपोर्ट
बेंग्लुरू में रहने वाले सुहास गोपीनाथ की सफलता और उम्र का कोई ताल-मेल नहीं है। जिस उम्र में बच्चे गलियों में खेलते हैं और स्कूल में दोस्तों के साथ झगड़ा करते हैं, उस वक्त सुहास ने बतौर प्रोफेशनल डेवलपर अपनी पहली वेबसाइट coolhindustan.com बना कर सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। किसी वेबसाइट के संस्थापक बनने वालों में वे सबसे कम उम्र के थे।
ऐसा नहीं है कि उन्हें सभी चीजें चांदी की थाली में परोसी हुई मिलीं। कंपनी शुरू करने से पहले उन्होंने अपने माता-पिता को बताया कि वे एक हॉबी क्लब से जुड़े हुए हैं, जिसे वे अपना खाली वक्त देते हैं। लेकिन बाद में जब उन्हें सुहास की कंपनी के बारे में पता चला तो वे सुहास की पढ़ाई और उनके भविष्य को लेकर काफी सोच-विचार करने लगे। एक वेबसाइट को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ‘भारत में किसी की कामयाबी का मुख्य पैमाना उसकी अच्छी पढ़ाई को माना जाता है और कई मामलों में यहां तक कि शादी के लिए एक अच्छे पार्टनर का मिलना भी इसी बात पर निर्भर होता है। लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे मेरे सपनों को पूरा करने में हमेशा साथ दिया।’
जहां एक तरफ सुहास के माता-पिता उनके साथ थे, वहीं दूसरी तरफ बजाए इसके कि सरकार ऐसे प्रतिभाशाली छात्र की मदद करे, उसे प्रोत्साहित करे, उन्होंने सुहास की कंपनी को यहां रजिस्टर करने से ही मना कर दिया। उनके मुताबिक उस समय सुहास की आयु भारतीय कानूनों के मानकों के हिसाब से कम थी। ऐसे में सुहास ने वर्ष 2000 में अमेरिका के केलिफोर्निया से अपनी कंपनी ‘ग्लोबल्स इंक’ का काम शुरू किया। आज ग्लोबल्स इंक देखते ही देखते एक मल्टीनेशनल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी बन गई है और दुनिया के 11 से भी अधिक देशों में अपना कारोबार कर रही है।
16 साल की उम्र में एक कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और अध्यक्ष बनने की वजह क्या रही, इस बारे में अपने उन्होंने इंटरव्यू में कहा, ‘मैं हमेशा से अपना बॉस खुद बनना चाहता था। मेरा मानना है कि अगर आपका काम किसी कंपनी या संस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है तो फिर क्यों न खुद की संस्था या कंपनी के लिए काम किया जाए? इस कंपनी को शुरू करने के लिए एक और चीज जिसने मुझे प्रेरित किया, वह थी कि मैं बेरोजगार और पढ़ाई छोड़ चुके लोगों के टेलेंट को बढ़ाने में मदद करना चाहता था, जिससे उन्हें तकनीकी क्षेत्र में रोजगार मिले।’
17 वर्ष की आयु में प्रमुख मीडिया हाउसेज जैसे बीबीसी, वॉशिंगटन टाइम्स, दि एज आदि ने उन्हें वर्ल्डस यंगेस्ट सीईओ का खिताब दे डाला। सिर्फ इतना ही नहीं, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी उनका नाम दुनिया के सबसे कम उम्र वाले सीईओ के रूप में दर्ज है। यहां तक कि भारतीय मीडिया में उन्हें भारतीय बिल गेट्स के नाम से भी जाना जाने लगा। दरअसल सुहास की प्रेरणा के सबसे बड़े स्रोत बिल गेट्स ही हैं।
उनका कहना है, ‘ग्लोबल्स इंक के पीछे माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन के संस्थापक बिल गेट्स मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। एक बार जब वे बेंग्लुरू आए थे तो मेरी मुलाकात उनसे हुई थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि मुझे तुमसे डरना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी महत्त्वाकांक्षाएं भी मेरी तरह हैं। मैं यह सुन कर काफी हैरान हुआ था कि वे दूसरों से कितने प्यार से बात करते हैं। मैं चाहता हूं कि मेरी कंपनी की कामयाबी की कहानी भी माइक्रोसॉफ्ट की ही तरह हो।’ इतनी छोटी उम्र में इतनी कामयाबी के बावजूद सुहास ने अपने पैरों तले की जमीन को हिलने नहीं दिया। यहां तक कि जिस वक्त उनकी कंपनी ग्लोबल्स इंक ने 5 लाख अमेरिकी डॉलर का कारोबार किया, उस वक्त भी उन्होंने अपने पापा से अपनी पॉकेट मनी लेना बंद नहीं किया।
फैक्ट फाइल
जन्म तिथि: 4 नवंबर 1986
पद: ग्लोबल्स इंक के मुख्य कार्याधिकारी और अध्यक्ष
पहली सफलता: 14 वर्ष की आयु में प्रोफेशनल वेब डेवलपर के रूप में coolhindustan.com का निर्माण
सम्मान: सीएनबीसी और ई-बिजनेस की ओर से 16 वर्ष में वर्ल्डस यंगेस्ट इंटरप्रेन्योर का सम्मान।
कर्नाटक सरकार की ओर से राज्योत्सव सम्मान।
2007 में यूरोपीय संसद की ओर से यंग अचीवर अवॉर्ड
2008 में विश्व आर्थिक मंच की ओर से यंग ग्लोबल लीडर का सम्मान
सामाजिक उत्तरदायित्व: पेटा के ब्रान्ड अंबेसेडर
बेंग्लुरू में रहने वाले सुहास गोपीनाथ की सफलता और उम्र का कोई ताल-मेल नहीं है। जिस उम्र में बच्चे गलियों में खेलते हैं और स्कूल में दोस्तों के साथ झगड़ा करते हैं, उस वक्त सुहास ने बतौर प्रोफेशनल डेवलपर अपनी पहली वेबसाइट coolhindustan.com बना कर सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। किसी वेबसाइट के संस्थापक बनने वालों में वे सबसे कम उम्र के थे।
ऐसा नहीं है कि उन्हें सभी चीजें चांदी की थाली में परोसी हुई मिलीं। कंपनी शुरू करने से पहले उन्होंने अपने माता-पिता को बताया कि वे एक हॉबी क्लब से जुड़े हुए हैं, जिसे वे अपना खाली वक्त देते हैं। लेकिन बाद में जब उन्हें सुहास की कंपनी के बारे में पता चला तो वे सुहास की पढ़ाई और उनके भविष्य को लेकर काफी सोच-विचार करने लगे। एक वेबसाइट को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ‘भारत में किसी की कामयाबी का मुख्य पैमाना उसकी अच्छी पढ़ाई को माना जाता है और कई मामलों में यहां तक कि शादी के लिए एक अच्छे पार्टनर का मिलना भी इसी बात पर निर्भर होता है। लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे मेरे सपनों को पूरा करने में हमेशा साथ दिया।’
जहां एक तरफ सुहास के माता-पिता उनके साथ थे, वहीं दूसरी तरफ बजाए इसके कि सरकार ऐसे प्रतिभाशाली छात्र की मदद करे, उसे प्रोत्साहित करे, उन्होंने सुहास की कंपनी को यहां रजिस्टर करने से ही मना कर दिया। उनके मुताबिक उस समय सुहास की आयु भारतीय कानूनों के मानकों के हिसाब से कम थी। ऐसे में सुहास ने वर्ष 2000 में अमेरिका के केलिफोर्निया से अपनी कंपनी ‘ग्लोबल्स इंक’ का काम शुरू किया। आज ग्लोबल्स इंक देखते ही देखते एक मल्टीनेशनल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी बन गई है और दुनिया के 11 से भी अधिक देशों में अपना कारोबार कर रही है।
16 साल की उम्र में एक कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और अध्यक्ष बनने की वजह क्या रही, इस बारे में अपने उन्होंने इंटरव्यू में कहा, ‘मैं हमेशा से अपना बॉस खुद बनना चाहता था। मेरा मानना है कि अगर आपका काम किसी कंपनी या संस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है तो फिर क्यों न खुद की संस्था या कंपनी के लिए काम किया जाए? इस कंपनी को शुरू करने के लिए एक और चीज जिसने मुझे प्रेरित किया, वह थी कि मैं बेरोजगार और पढ़ाई छोड़ चुके लोगों के टेलेंट को बढ़ाने में मदद करना चाहता था, जिससे उन्हें तकनीकी क्षेत्र में रोजगार मिले।’
17 वर्ष की आयु में प्रमुख मीडिया हाउसेज जैसे बीबीसी, वॉशिंगटन टाइम्स, दि एज आदि ने उन्हें वर्ल्डस यंगेस्ट सीईओ का खिताब दे डाला। सिर्फ इतना ही नहीं, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी उनका नाम दुनिया के सबसे कम उम्र वाले सीईओ के रूप में दर्ज है। यहां तक कि भारतीय मीडिया में उन्हें भारतीय बिल गेट्स के नाम से भी जाना जाने लगा। दरअसल सुहास की प्रेरणा के सबसे बड़े स्रोत बिल गेट्स ही हैं।
उनका कहना है, ‘ग्लोबल्स इंक के पीछे माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन के संस्थापक बिल गेट्स मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। एक बार जब वे बेंग्लुरू आए थे तो मेरी मुलाकात उनसे हुई थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि मुझे तुमसे डरना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी महत्त्वाकांक्षाएं भी मेरी तरह हैं। मैं यह सुन कर काफी हैरान हुआ था कि वे दूसरों से कितने प्यार से बात करते हैं। मैं चाहता हूं कि मेरी कंपनी की कामयाबी की कहानी भी माइक्रोसॉफ्ट की ही तरह हो।’ इतनी छोटी उम्र में इतनी कामयाबी के बावजूद सुहास ने अपने पैरों तले की जमीन को हिलने नहीं दिया। यहां तक कि जिस वक्त उनकी कंपनी ग्लोबल्स इंक ने 5 लाख अमेरिकी डॉलर का कारोबार किया, उस वक्त भी उन्होंने अपने पापा से अपनी पॉकेट मनी लेना बंद नहीं किया।
फैक्ट फाइल
जन्म तिथि: 4 नवंबर 1986
पद: ग्लोबल्स इंक के मुख्य कार्याधिकारी और अध्यक्ष
पहली सफलता: 14 वर्ष की आयु में प्रोफेशनल वेब डेवलपर के रूप में coolhindustan.com का निर्माण
सम्मान: सीएनबीसी और ई-बिजनेस की ओर से 16 वर्ष में वर्ल्डस यंगेस्ट इंटरप्रेन्योर का सम्मान।
कर्नाटक सरकार की ओर से राज्योत्सव सम्मान।
2007 में यूरोपीय संसद की ओर से यंग अचीवर अवॉर्ड
2008 में विश्व आर्थिक मंच की ओर से यंग ग्लोबल लीडर का सम्मान
सामाजिक उत्तरदायित्व: पेटा के ब्रान्ड अंबेसेडर
साभार हिन्दुस्तान
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