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Thursday, April 28, 2011
Wednesday, April 27, 2011
ये हैं भारतीय बिल गेट्स
सुहास गोपीनाथ ने 14 साल की उम्र में वेबसाइट बना कर अपना और अपने देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया। एक बार कामयाबी का स्वाद चखने के बाद इन्होंने कभी मुड़ कर नहीं देखा। 2007 में यूरोपीय संसद ने इन्हें यंग अचीवरअवॉर्ड से और 2008 में विश्व आर्थिक मंच ने इन्हें यंग ग्लोबल लीडर का सम्मान दिया। सुहास की कामयाबी पर रुचि की रिपोर्ट
बेंग्लुरू में रहने वाले सुहास गोपीनाथ की सफलता और उम्र का कोई ताल-मेल नहीं है। जिस उम्र में बच्चे गलियों में खेलते हैं और स्कूल में दोस्तों के साथ झगड़ा करते हैं, उस वक्त सुहास ने बतौर प्रोफेशनल डेवलपर अपनी पहली वेबसाइट coolhindustan.com बना कर सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। किसी वेबसाइट के संस्थापक बनने वालों में वे सबसे कम उम्र के थे।
ऐसा नहीं है कि उन्हें सभी चीजें चांदी की थाली में परोसी हुई मिलीं। कंपनी शुरू करने से पहले उन्होंने अपने माता-पिता को बताया कि वे एक हॉबी क्लब से जुड़े हुए हैं, जिसे वे अपना खाली वक्त देते हैं। लेकिन बाद में जब उन्हें सुहास की कंपनी के बारे में पता चला तो वे सुहास की पढ़ाई और उनके भविष्य को लेकर काफी सोच-विचार करने लगे। एक वेबसाइट को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ‘भारत में किसी की कामयाबी का मुख्य पैमाना उसकी अच्छी पढ़ाई को माना जाता है और कई मामलों में यहां तक कि शादी के लिए एक अच्छे पार्टनर का मिलना भी इसी बात पर निर्भर होता है। लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे मेरे सपनों को पूरा करने में हमेशा साथ दिया।’
जहां एक तरफ सुहास के माता-पिता उनके साथ थे, वहीं दूसरी तरफ बजाए इसके कि सरकार ऐसे प्रतिभाशाली छात्र की मदद करे, उसे प्रोत्साहित करे, उन्होंने सुहास की कंपनी को यहां रजिस्टर करने से ही मना कर दिया। उनके मुताबिक उस समय सुहास की आयु भारतीय कानूनों के मानकों के हिसाब से कम थी। ऐसे में सुहास ने वर्ष 2000 में अमेरिका के केलिफोर्निया से अपनी कंपनी ‘ग्लोबल्स इंक’ का काम शुरू किया। आज ग्लोबल्स इंक देखते ही देखते एक मल्टीनेशनल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी बन गई है और दुनिया के 11 से भी अधिक देशों में अपना कारोबार कर रही है।
16 साल की उम्र में एक कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और अध्यक्ष बनने की वजह क्या रही, इस बारे में अपने उन्होंने इंटरव्यू में कहा, ‘मैं हमेशा से अपना बॉस खुद बनना चाहता था। मेरा मानना है कि अगर आपका काम किसी कंपनी या संस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है तो फिर क्यों न खुद की संस्था या कंपनी के लिए काम किया जाए? इस कंपनी को शुरू करने के लिए एक और चीज जिसने मुझे प्रेरित किया, वह थी कि मैं बेरोजगार और पढ़ाई छोड़ चुके लोगों के टेलेंट को बढ़ाने में मदद करना चाहता था, जिससे उन्हें तकनीकी क्षेत्र में रोजगार मिले।’
17 वर्ष की आयु में प्रमुख मीडिया हाउसेज जैसे बीबीसी, वॉशिंगटन टाइम्स, दि एज आदि ने उन्हें वर्ल्डस यंगेस्ट सीईओ का खिताब दे डाला। सिर्फ इतना ही नहीं, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी उनका नाम दुनिया के सबसे कम उम्र वाले सीईओ के रूप में दर्ज है। यहां तक कि भारतीय मीडिया में उन्हें भारतीय बिल गेट्स के नाम से भी जाना जाने लगा। दरअसल सुहास की प्रेरणा के सबसे बड़े स्रोत बिल गेट्स ही हैं।
उनका कहना है, ‘ग्लोबल्स इंक के पीछे माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन के संस्थापक बिल गेट्स मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। एक बार जब वे बेंग्लुरू आए थे तो मेरी मुलाकात उनसे हुई थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि मुझे तुमसे डरना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी महत्त्वाकांक्षाएं भी मेरी तरह हैं। मैं यह सुन कर काफी हैरान हुआ था कि वे दूसरों से कितने प्यार से बात करते हैं। मैं चाहता हूं कि मेरी कंपनी की कामयाबी की कहानी भी माइक्रोसॉफ्ट की ही तरह हो।’ इतनी छोटी उम्र में इतनी कामयाबी के बावजूद सुहास ने अपने पैरों तले की जमीन को हिलने नहीं दिया। यहां तक कि जिस वक्त उनकी कंपनी ग्लोबल्स इंक ने 5 लाख अमेरिकी डॉलर का कारोबार किया, उस वक्त भी उन्होंने अपने पापा से अपनी पॉकेट मनी लेना बंद नहीं किया।
फैक्ट फाइल
जन्म तिथि: 4 नवंबर 1986
पद: ग्लोबल्स इंक के मुख्य कार्याधिकारी और अध्यक्ष
पहली सफलता: 14 वर्ष की आयु में प्रोफेशनल वेब डेवलपर के रूप में coolhindustan.com का निर्माण
सम्मान: सीएनबीसी और ई-बिजनेस की ओर से 16 वर्ष में वर्ल्डस यंगेस्ट इंटरप्रेन्योर का सम्मान।
कर्नाटक सरकार की ओर से राज्योत्सव सम्मान।
2007 में यूरोपीय संसद की ओर से यंग अचीवर अवॉर्ड
2008 में विश्व आर्थिक मंच की ओर से यंग ग्लोबल लीडर का सम्मान
सामाजिक उत्तरदायित्व: पेटा के ब्रान्ड अंबेसेडर
बेंग्लुरू में रहने वाले सुहास गोपीनाथ की सफलता और उम्र का कोई ताल-मेल नहीं है। जिस उम्र में बच्चे गलियों में खेलते हैं और स्कूल में दोस्तों के साथ झगड़ा करते हैं, उस वक्त सुहास ने बतौर प्रोफेशनल डेवलपर अपनी पहली वेबसाइट coolhindustan.com बना कर सभी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। किसी वेबसाइट के संस्थापक बनने वालों में वे सबसे कम उम्र के थे।
ऐसा नहीं है कि उन्हें सभी चीजें चांदी की थाली में परोसी हुई मिलीं। कंपनी शुरू करने से पहले उन्होंने अपने माता-पिता को बताया कि वे एक हॉबी क्लब से जुड़े हुए हैं, जिसे वे अपना खाली वक्त देते हैं। लेकिन बाद में जब उन्हें सुहास की कंपनी के बारे में पता चला तो वे सुहास की पढ़ाई और उनके भविष्य को लेकर काफी सोच-विचार करने लगे। एक वेबसाइट को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ‘भारत में किसी की कामयाबी का मुख्य पैमाना उसकी अच्छी पढ़ाई को माना जाता है और कई मामलों में यहां तक कि शादी के लिए एक अच्छे पार्टनर का मिलना भी इसी बात पर निर्भर होता है। लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे मेरे सपनों को पूरा करने में हमेशा साथ दिया।’
जहां एक तरफ सुहास के माता-पिता उनके साथ थे, वहीं दूसरी तरफ बजाए इसके कि सरकार ऐसे प्रतिभाशाली छात्र की मदद करे, उसे प्रोत्साहित करे, उन्होंने सुहास की कंपनी को यहां रजिस्टर करने से ही मना कर दिया। उनके मुताबिक उस समय सुहास की आयु भारतीय कानूनों के मानकों के हिसाब से कम थी। ऐसे में सुहास ने वर्ष 2000 में अमेरिका के केलिफोर्निया से अपनी कंपनी ‘ग्लोबल्स इंक’ का काम शुरू किया। आज ग्लोबल्स इंक देखते ही देखते एक मल्टीनेशनल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी बन गई है और दुनिया के 11 से भी अधिक देशों में अपना कारोबार कर रही है।
16 साल की उम्र में एक कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और अध्यक्ष बनने की वजह क्या रही, इस बारे में अपने उन्होंने इंटरव्यू में कहा, ‘मैं हमेशा से अपना बॉस खुद बनना चाहता था। मेरा मानना है कि अगर आपका काम किसी कंपनी या संस्था के लिए फायदेमंद हो सकता है तो फिर क्यों न खुद की संस्था या कंपनी के लिए काम किया जाए? इस कंपनी को शुरू करने के लिए एक और चीज जिसने मुझे प्रेरित किया, वह थी कि मैं बेरोजगार और पढ़ाई छोड़ चुके लोगों के टेलेंट को बढ़ाने में मदद करना चाहता था, जिससे उन्हें तकनीकी क्षेत्र में रोजगार मिले।’
17 वर्ष की आयु में प्रमुख मीडिया हाउसेज जैसे बीबीसी, वॉशिंगटन टाइम्स, दि एज आदि ने उन्हें वर्ल्डस यंगेस्ट सीईओ का खिताब दे डाला। सिर्फ इतना ही नहीं, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी उनका नाम दुनिया के सबसे कम उम्र वाले सीईओ के रूप में दर्ज है। यहां तक कि भारतीय मीडिया में उन्हें भारतीय बिल गेट्स के नाम से भी जाना जाने लगा। दरअसल सुहास की प्रेरणा के सबसे बड़े स्रोत बिल गेट्स ही हैं।
उनका कहना है, ‘ग्लोबल्स इंक के पीछे माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन के संस्थापक बिल गेट्स मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं। एक बार जब वे बेंग्लुरू आए थे तो मेरी मुलाकात उनसे हुई थी। उस वक्त उन्होंने कहा था कि मुझे तुमसे डरना चाहिए, क्योंकि तुम्हारी महत्त्वाकांक्षाएं भी मेरी तरह हैं। मैं यह सुन कर काफी हैरान हुआ था कि वे दूसरों से कितने प्यार से बात करते हैं। मैं चाहता हूं कि मेरी कंपनी की कामयाबी की कहानी भी माइक्रोसॉफ्ट की ही तरह हो।’ इतनी छोटी उम्र में इतनी कामयाबी के बावजूद सुहास ने अपने पैरों तले की जमीन को हिलने नहीं दिया। यहां तक कि जिस वक्त उनकी कंपनी ग्लोबल्स इंक ने 5 लाख अमेरिकी डॉलर का कारोबार किया, उस वक्त भी उन्होंने अपने पापा से अपनी पॉकेट मनी लेना बंद नहीं किया।
फैक्ट फाइल
जन्म तिथि: 4 नवंबर 1986
पद: ग्लोबल्स इंक के मुख्य कार्याधिकारी और अध्यक्ष
पहली सफलता: 14 वर्ष की आयु में प्रोफेशनल वेब डेवलपर के रूप में coolhindustan.com का निर्माण
सम्मान: सीएनबीसी और ई-बिजनेस की ओर से 16 वर्ष में वर्ल्डस यंगेस्ट इंटरप्रेन्योर का सम्मान।
कर्नाटक सरकार की ओर से राज्योत्सव सम्मान।
2007 में यूरोपीय संसद की ओर से यंग अचीवर अवॉर्ड
2008 में विश्व आर्थिक मंच की ओर से यंग ग्लोबल लीडर का सम्मान
सामाजिक उत्तरदायित्व: पेटा के ब्रान्ड अंबेसेडर
साभार हिन्दुस्तान
Tuesday, April 26, 2011
दिल्ली में कार्टून वाच का कार्टून महोत्सव
दिल्ली : देश की एकमात्र कार्टून पत्रिका कार्टून वाच द्वारा प्रतिवर्श आयोजित कार्टून महोत्सव इस बार दिल्ली में किया जा रहा है. 29 अप्रैल 2011 को हिन्दी भवन दिल्ली में इसका उद्घाटन पूर्व राश्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम करेंगे. कार्टून वाच के सम्पादक त्रयम्बक शर्मा ने जारी विज्ञप्ति में बताया कि इस बार कार्टून वाच की तरफ से लाईफ टाईम एचीवमेंट एवार्ड पांच वरिश्ठ कार्टूनिस्टों को दिया जायेगा. टाईम्स आफ इंडिया समूह के श्र...ी अजीत नैनन, नवभारत टाईम्स के पूर्व कार्टूनिस्ट श्री काक, मधुमुस्कान पत्रिका के नन्हा जासूस बबलू के रचयिता श्री हुसैन जामिन, छत्तीसगढ के श्री बी.वी.पांडुरंग राव जो अब बैंगलोर में हैं, और दिल्ली दैनिक जागरण के कार्टूनिस्ट श्री जगजीत राणा को इस वर्श कार्टून महोत्सव में लाईफ टाईम एचीवमेंट एवार्ड प्रदान किया जायेगाइसके अलावा कार्टून विधा को बढावा देने के लिये उल्लेखनीय कार्य करने के लिये विषेश रूप से केरला कार्टून एकेडमी के पूर्व सचिव एवं कार्टूनिस्ट श्री सुधीरनाथ को भी सम्मानित किया जायेगाइस ेगाइस कार्यक्रम में प्रदेश के संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल विषेश अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे. उल्लेखनीय है कि पूर्व के वर्शों में कार्टून महोत्सव में श्री आर.के.लक्ष्मण, श्री आबिद सुरती, चाचा चैधरी के जनक श्री प्राण, श्री सुधीर दर, श्री राजेन्द्र धोडपकर, श्री एच.एम.सूदन, श्री सुरेश सावंत और श्री श्याम जगोता सहित अनेक कार्टून हस्तियां सम्मानित हो चुकी हैं. इस महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से कार्टूनिस्ट शामिल हो रहे हैं. कार्टून वाच पत्रिका अपने प्रकाशन के पंद्रहवें वर्श पर हो रहे इस आयोजन के अवसर पर विषेश अंक का प्रकाशन भी करने जा रही है जिसका विमोचन डा. कलाम के हाथों होगा. इस अंक में इस बार सम्मानित किये जा रहे कार्टूनिस्टों के कार्टून प्रकाषित किये जायेंगे. श्री शर्मा ने बताया कि डा. अब्दुल कलाम कार्टून विधा को बहुत पसंद करते हैं और राश्ट्रपति पद में रहने के दौरान उन्होंने सभी समाचार पत्र के सम्पादकों से अनुरोध किया था कि वे कार्टून को प्रथम पृश्ठ में स्थान दें. ज्ञातव्य है कि श्री षर्मा दृवारा रचित कार्टून पात्र प्रिंस का विमोचन भी डा. कलाम ने चेन्नई में किया था. कार्टून वाच के विषेश अंक में भी डा. कलाम के कार्टून प्रकाशित किये जायेंगेकार्टून वाच पत्रिका ने विगत पंद्रह वर्शोंमें छत्तीसगढ का नाम देष के अलावा विदेशो में भी रोशान किया है. लंदन में दो सप्ताह इस पत्रिका द्वारा प्रदर्षनी लगाई गई, सम्पादक त्रयम्बक शर्मा का साक्षात्कार बीबीसी लंदन के हिन्दी रेडियो सेवा से किया गया, श्री शर्मा को नेपाल में आयोजित पांच देषों के कार्टूनिस्टों के सम्मेलन में आमंत्रित किया गया. हाल ही में कार्टून वाच ने दिल्ली में पहली बार आयोजित कामिक कन्वेन्षन - कामिकान में भी देश की एकमात्र कार्टून पत्रिका के रूप में भाग लिया था.
Monday, April 25, 2011
Tangla students excel in Udalguri Youth Festival quiz and debate
Tangla : The Udalguri Youth Festival,which was inaugurated on April 23 by Maj.Gen NS Ghei, GOC, Red Horns Division,witnessed more spectacular events like inter school debate and quiz competitions on April 24. Thaneswar Malakar,Deputy Commissioner,Udalguri inaugurated both the competitions at Harimu Bhavan in presence of Col.Sunil Upadhyaya, Commanding Officer of 315 Field Regiment (KARGIL).In debate section Donbosco School,Tangla and Tangla College won gold and silver medal respectively.In inter school quiz competition,six schools namely-JNV,Kalaigaon; JNV,Udalguri; Arunodoi Academy, Tangla; TEMHS, Tangla; Donbosco School,Tangla and RAMES, Udalguri took part in the final round. TEMHS,Tangla students won the gold medal while Arunodoi Academy,Tangla students won silver medal.Jayanta Chakravorty,lecturer of Tangla College and Director of TEMHS conducted the quiz competition. Thaneswar Malakar,Deputy Commissioner, Udalguri gave away the medals to the winners at the end.On the occasion he requested the students of Udalguri district to study hard and to keep note of matters science & technology,nature & wildlife and to try to solve a few problems of their own for a better future.It needs mention that 315 Field Regiment (KARGIL)organised the five days programme for the youths of Udalguri district
Friday, April 22, 2011
Tuesday, April 12, 2011
BAND RAILWAY FATAK KO KHULWANE KE LIYE JANSABHA
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Friday, April 8, 2011
Railway Fatak
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Wednesday, April 6, 2011
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